इन्सान को भी अपनी इंसानियत नहीं भूलनी चाहिए।

इन्सान को भी अपनी इंसानियत नहीं भूलनी चाहिए।
ये कहानी बहुत पुरानी है।
ये कहानी उस समय की है जब ऋषिमुन्नी हुआ करते थे।

एक गांव था। जहां एक ऋषीमुन्नी हुआ करते थे। वो सुबह उठते। और उठ कर नहा धोकर नित्य पूजा अर्चना कर के हीं भोजन किया करते थे।और हमेशा हीं लोगों को यही शिख देते थे। की सारी जीवों में मानव श्रेष्ठ है। मानव महान है।इसलिए उसका फर्ज बनता है।की कमजोर जीवों की मदद करें। इन्सान को इन्सान होने पर गर्व करना चाहिए।इन्सान को अपनी इंसानियत नहीं भूलनी चाहिए।

ये नित्य यही सीख दिया करते थे।
ऐसे हीं कई दिन निकल गए।
हर रोज के जैसा एक दिन ॠषिमुन्नी नदी में नहा रहे थे।क्योंकि उनको हर रोज की तरह पूजा पाठ करनी थी।
की नहाते हैं तो देखते हैं नदी में नदी के पानी की धार में एक बिच्छू पानी की धार में बहता हुआ जा रहा है।
उसे बहता देख उनको लगा की ये इस धार में बह कर डूब जाएगा।उसकी मदद करनी चाहिए।
इसलिए उन्होंने उसकी मदद के लिए।उसके पास हांथ बढ़ाए तो बिच्छू ने उनको डंक मार दिया।डंक मारने से अधिक पीड़ा होने के कारण उनको वहां से हाथ हटाना पड़ा।फिर दोबारा हांथ से उसे बचाने की होसिस करते हैं।
की फिर डंक मार देता है।इस तरह बार बार कोशिश करने के बाद उसको पानी से निकाल लेते हैं।
ये सारी हरकत एक पास में पेंड के नीचे बैठा एक लड़का देख रहा था।
जब ऋषि मुनि ने नहा धोकर बाहर निकले तो लड़का को रहा नहीं गया।उसने पूछ लिया।
बाबा उस बिच्छू को आपने क्यों बचाया।
जो आप को बार बार घायल कर रहा था।आपको डंक मार रहा था।
ये बात सुन कर उन्होंने बताया बेटा।
वो एक बिच्छू है। जो बिच्छू हो कर एक छोटा जीव हो कर अपनी बिछुपन्न नहीं भूल सकता।
तो हम इन्सान हो कर इंसानियत कैसे भूल सकते है।

अतः वो अपना बिच्छू पन्न नहीं भुला।

तो मैं इन्सान हो कर इंसानियत कैसे भुलाता।
इस कारण में आज बहुत खुश हूं।
 की मैं एक जीव की जान बचा पचा पाया।।

शिक्षा: हमे भी इंसान होने के नाते इंसानियत इंसानियत नहीं भूलनी चाहिए।
जिस प्रकार एक बिच्छू अपनी बिच्छू पन्न नहीं भूलना।। 

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